दिल बेचैन होता है पल पल ये चैन खोता है हवा नहीं आएगी हाथ हमारे मन फिर भी वहीँ दौड़ता है अंदाज उसका वो हिजाने लगते पहेली उसके फ़साने जीना दुश्वार हर वक़्त होता है मन जाने क्यूँ वही दौड़ता है आहत भी उसकी जादू सी लगती बोली से उनकी कलियाँ है झड़ती देखे जो एक नज़र तो गुरुर हुआ जाता है नज़रो से माथे पे वो सिन्दूर लगा जाता है शायद ही ये सच हो सपना मेरा दिल ये बखूबी जानता है मन जाने क्यूँ वही दौड़ता है ………………………!
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