कभी नदिया सा पावन कभी झरने सा निर्झर ये बहती हवा है जो सांसों में समाये आओ इसे जी लो ज़रा वरना ज़िदागानी में बाकि बचा ही क्या पर दर्द ये है कि सब पर बरसती नहीं ये हवा कोई इश्क के पीछे भागे,इश्क को पता नहीं कही इश्क ही भागता है,पर हमें खबर नहीं किस्मत वालों की है ये निशानियाँ जिन्हें मिले उनका इश्क उनकी अलग हैं कहानियां एक मीठा झोंका हम से भी गुज़ारा था ……….. ना समझ सके उसे यही खता हो गयी अब उसकी याद में ज़िन्दगी फ़ना हो गयी काश कि कोई दे देता पता हमें हमारे इश्क का … बना लेंगे हम खुदा उसे अपने जीवन का!!
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