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एक था राजा! एक थी रानी!
आओ सुन लो एक कहानी
था बड़ा तेजस्वी राजा वो तो
बड़ी अटल थी उसकी बानी
फिर क्यों रोई उसकी रानी
कैसी है ये अज़ब कहानी!
राजा ने क्यूँ खाया धोखा
हाय! समझा मृग सोने का
धोखे से चुरा ली गई रानी
कैसी थी वो अजब कहानी
राजा ने फिर खोजा उसको
वन वन भटका मिलने उसको
पर मिली जब राजा से वो रानी
राजा की थी अजब ही इक्छा
बोला दे दो अग्नि परीक्छा
दे रानी ने अग्नि परीक्छा
हुई पूरी सबकी इक्छा
लगा कि हुआ इनकी किस्मत का फैसला
पर थी बाकी किस्मत की लेखनी
फिर किसी बाहरी के कहने पे
अविश्वास किया राजा ने रानी पे
किया बाहर रानी को घर से
टूटी रानी अपने ही मन से
आश्रय पाया उसने वन में
हुए पुत्र उसको परायों की मदद से
पुत्रो ने उन्हें अपना माना
राजा ने ये बरसों बाद जाना
आया राजा लेने उनको
रानी भी भूली बीती बातों को
पर होनी को चैन न आया
फिर राजा से उसकी परीक्छा का आग्रह करवाया
कर न पाई सहन वो राजा की बानी
फिर से रोई उसकी रानी
आवाज़ दी उसने धरती को
ले लो माँ गोद में मुझ को
कहते हैं लोग तेजस्वी राजा को
रुलाया जीवन भर रानी को
कैसे कहें तेजस्वी हम राजा को
भले न्यायी हो सबके संग वो
था बड़ा अन्याई रानी संग वो!
कैसी थी वो अज़ब कहानी
एक था राजा ,एक थी रानी!!
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यदि इस रचना से किसी की भावनाएं आहत हों तो मैं माफ़ी चाहूंगी और शीघ्र ही इसका गद्य संस्करण ले कर आप के समक्छ उपस्थित होउंगी!
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