LOTUS......
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फिर वही बात !
फिर वही रात!
वही सांस …वही अहसास!
जैसे बर्फ से जमी झील हो कोई
कर रही किसी पत्थर का इंतजार
आ के तोड़ दे कोई ये निर्वात
कर दे झंकृत ह्रदय के तार
सुना दे कोई मीठी सी सरगम
बन जाये दिल के घावों पे मरहम
यही सोचते सोचते ही आ जाती है एक और सुबह
ढल जाता है दिन भी!
फिर वही बात………. !
फिर वही रात……………..!!
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