LOTUS......
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कोई करिश्मा कहीं होता क्यूँ नहीं
आज कल दास्ताँ ए परी होती क्यूँ नहीं
ज़िन्दगी पल दो पल का सफ़र है फिर भी
खुशियों का झरोखा दिखता क्यूँ नहीं
…………………चाहा था की एक दिन बजाऊ सितार
पर थामना पड़ा मजबूरन झुनझुना
पर हाय ! आवाज़ उसमे भी नहीं
क्या किस्मत को मैं पसंद नहीं
दिन दुखों का बहुत देखा हमने
क्या रातें भी इनकी होंगी कभी
तपिश सूरज की बहुत सही हमने
क्या चाँद का सुकून हासिल होगा कभी
कोई करिश्मा कभी होता क्यों नहीं
आज कल दास्ताँ ए परी होती क्यूँ नहीं
जान भी दे दें गर कोई जान से मांगे
पर आजकल जान की भी कीमत नहीं
कोई करिश्मा कभी होता क्यों नहीं
आज कल दास्ताँ ए परी होती क्यूँ नहीं!!!!
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