LOTUS......
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ख़ामोशी का गहना ओढ़े
चली साँझ रात से मिलने !
कुछ हलचल कुछ मन में सहेजे
अपनी व्यथा चाँद से कहने!
दिल में दुखों का घना अँधेरा है ,
बहुत दूर अभी सवेरा है.
पीछे देखूं या आगे जाऊं ,
हर तरफ काँटों ने घेरा है .
रात में एक अच्छी बात दिखी कि
वो चुपचाप सुन लेती साँझ को
छणिक ही सही…! बहला देती साँझ को
इसीलिए बेचैन सी ,बेहाल सी
चली साँझ रात से मिलने….
अपनी व्यथा चाँद से कहने!
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